JCB के चेयरमैन, लॉर्ड बामफ़ोर्ड

 

JCB में 60 साल तक बेमिसाल सेवाएं देने के बाद भी काम के प्रति लॉर्ड बैमफ़ोर्ड का जुनून अब भी बरकरार है

पारिवारिक मालिकाना हक वाले ब्रिटेन के सबसे सफल कारोबारों में से एक JCB में अपने समर्पण के लिए लॉर्ड बैमफ़ोर्ड एक जाना-पहचाना नाम है। साल 1975 से ही कंस्ट्रक्शन से जुड़े उपकरण बनाने वाली इस प्रतिष्ठित कंपनी के चेयरमैन के रूप में, इन्होंने इस ब्रांड को दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाने का काम किया है, जो 46 टन के एक्सकैवेटर्स से लेकर बच्चों के खिलौनों और DIY उपकरणों तक के उत्पाद बनाने के मामले में मज़बूती, विश्वसनीयता और भरोसे का दूसरा नाम है|

इनका जन्म साल 1945 में उसी दिन हुआ, जिस दिन इनके पिता जोसेफ़ सिरिल बैमफ़ोर्ड CBE ने JCB की नींव रखी थी। एम्प्लफ़ोर्थ कॉलेज से निकलने के बाद पारिवारिक कारोबार में इनकी एंट्री फ्रांस के मैसी फर्ग्यूसन में इंजीनियरिंग प्रशिक्षु के तौर पर हुई थी। यूरोप में बिताए गए तीन साल, JCB में कैरियर बनाने के मामले में इनके लिए बेशकीमती साबित हुए। कंपनी में इनका कैरियर साल 1964 में शॉपफ़्लोर पर शुरू हुआ था। इसके बाद 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरुआत में यूरोप में कंपनी के एक्सपोर्ट ड्राइव का नेतृत्व करने के लिए, वे प्रबंधन के क्षेत्र में चले गए।

प्रबंधन में 30 सालों तक नेतृत्व करने के बाद "युवा प्रबंधन को अपनी क्षमताएँ दिखाने" का मौका देने लिए, जब इनके पिता 1975 में सेवानिवृत्त हुए, तब इन्होंने JCB को कंस्ट्रक्शन उपकरण प्रौद्योगिकी से जुड़ी दुनिया भर की अग्रणी कंपनी बनाने की दिशा में काम करना शुरू किया। इसकी शुरुआत 1978 में हुई, जब कंपनी ने वेल्स में एक एक्सल फैक्ट्री खोलकर फैक्ट्री के अंदर ही प्रमुख पुर्ज़ों के उत्पादन का काम शुरू किया।

यह कंपनी के परिचालन को एक दिशा में एकीकृत करने के लिए, चार दशकों में लिए गए बहुत सारे फ़ैसलों में से एक शुरुआती फ़ैसला था। आज, JCB वेल्स में अपना खुद के ट्रांसमिशन सिस्टम, स्टैफोर्डशायर में हाइड्रोलिक सिलेंडर व कैब, और डर्बीशायर में ऑफ़-हाईवे इंजन बनाती है। JCB के सभी उत्पादों की रेंज पर अपना पूरा तकनीकी नियंत्रण रखना, लॉर्ड बामफ़ोर्ड के दृढ़ संकल्प का ही नतीजा है।

रिसेप्शन में ट्रेलर पर श्रीमान JCB और लॉर्ड बामफ़ोर्ड

यकीनी तौर पर कहा जा सकता है कि उनका सबसे बड़ा फ़ैसला भारत में JCB के पहले विदेशी ऑपरेशन की नींव डालना था। यह साल 1979 की बात है, जब कुछ ही कंपनियों ने भारत में कारोबार शुरू करने पर विचार किया होगा। भारत और इसके लोगों के प्रति उनका प्यार और इसकी दीर्घकालिक बाजार क्षमता में पूर्ण विश्वास मुनाफे का सौदा साबित हुआ क्योंकि JCB अब भारत में 7,000 से अधिक लोगों को रोजगार देती है, और साथ ही अब कंपनी का अकेला सबसे बड़ा बाज़ार बन गया है। यह कदम कंपनी के द्वारा बाद के सालों में ब्राजील, संयुक्त राज्य अमेरिका, और चीन में उठाए गए कदमों के लिए एक आदर्श बन गया।

चेयरमैन बनने के बाद से, इन्होंने स्टैफोर्डशायर के एक कारखाने में चलने वाले £43 मिलियन के JCB के कारोबार को दुनिया भर में फैले 22 संयंत्रों वाले एक वैश्विक कारोबार में बदल दिया है, जिसमें 19,000 से ज़्यादा लोग 300 से ज़्यादा के अलग-अलग उत्पाद बनाते हैं। हाल के नतीजे इनकी उपलब्धि खुद बयां करते हैं - JCB ने 2023 में £6.5 बिलियन का रिकॉर्ड कारोबार किया है और इस दौरान कंपनी ने £805.8 मिलियन का लाभ (इसमें टैक्स की राशि शामिल है) अर्जित किया है। इस दौरान, कंपनी ने 1,23,000 से अधिक मशीनें बेचीं। 2012 में ब्राज़ील में £63 मिलियन की लागत का एक नया कारखाना खोला गया था और 2014 के दौरान भारत के जयपुर में £62 मिलियन की लागत वाले दो नए कारखाने खोले गए थे। भारत के तटीय राज्य गुजरात में एक छठा कारखाना 2022 में खोला गया था। साल 2024 की शुरुआत में JCB ने टेक्सास के सैन एंटोनियो में एक नए अमेरिकी कारखाने की नींव डाली, जो उत्तरी अमेरिका में इसका दूसरा कारखाना है।

वॉल्यूम के हिसाब से JCB दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कंस्ट्रक्शन उपकरण मैन्यूफ़ैक्चरर हो सकता है, लेकिन इसके चेयरमैन ब्रिटेन में ही विनिर्माण के प्रति दृढ़ता के लिए प्रतिबद्ध हैं। यूके में मौजूद अपने 11 कारखानों में 8,500 कर्मचारियों के साथ उत्पादन का 75% से अधिक निर्यात करते हुए, JCB £3 बिलियन से अधिक का निर्यात राजस्व पैदा कर रहा है और देश के कारोबार संतुलन में सकारात्मक योगदान दे रहा है। दरअसल, ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के एक स्वतंत्र विश्लेषण ने गणना की है कि JCB यूके की अर्थव्यवस्था के राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में £2.8 बिलियन, राजकोष में £739 मिलियन और कुल मिलाकर 41,200 नौकरियों के सृजन का योगदान देती है। यूके में JCB के निरंतर निवेश से कंपनी ने 2021 में उत्टोक्सेटर में £50 मिलियन की लागत का विशेष उद्देश्य के लिए डिजाइन किया गया एक नया कारखाना खोला, ताकि इसकी यूके में निर्मित मशीनों के लिए कैब का उत्पादन किया जा सके।

DZIMPORT

लॉर्ड बामफ़ोर्ड ने वर्षों से ब्रिटिश समाज में कुछ प्रमुख पदों पर काम किया है, लेकिन उन्हें सबसे अधिक सम्मान अपनी कारोबारी उपलब्धियों के लिए मिला है, जिसमें नेशनल वेस्टमिंस्टर यंग एक्सपोर्टर ऑफ़ द ईयर (1972), द गार्जियन यंग बिज़नेसमैन ऑफ़ द ईयर (1979) और चेवलियर डी ल'ऑर्ड्रे नेशनल डु मेराइट (1989) शामिल हैं। उन्हें 1990 में महारानी द्वारा नाइट की उपाधि दी गई थी और 1995 में कमेंडाटोर अल मेरिटो डेला रिपब्लिका इटालियाना से नवाज़ा गया था।

एंग्लो-इंडियन व्यापार संबंधों में अहम योगदान के लिए यूके-इंडिया बिज़नेस काउंसिल द्वारा उन्हें 2008 में एक पुरस्कार दिया गया था और उन्हें विदेशी बाज़ारों में ब्रिटेन की उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए 2010 में UKTI बिज़नेस एंबेसडर नियुक्त किया गया था। इन्हें एसोसिएशन ऑफ़ इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स के हॉल ऑफ़ फ़ेम अमेरिका में भी शामिल किया गया है और प्रमुख ब्रिटिश विश्वविद्यालयों से कई मानद डिग्री और डॉक्टरेट की उपाधि मिली है। इन्होंने तब से JCB की अध्यक्षता की है, जब 1969 में कंपनी ने पहला पुरस्कार जीता था और तब से अब तक कंपनी इनोवेशन और उद्यम के लिए 30 क्वींस अवॉर्ड जीत चुकी है। साल 2013 में, महारानी ने JCB के चेयरमैन लॉर्ड बामफ़ोर्ड को लाइफ़ पीयरेज़ के सम्मान से नवाज़ा था, जिससे उन्हें ग्लूस्टरशायर काउंटी में डेलेसफ़ोर्ड के बैरन बामफ़ोर्ड और स्टैफ़ोर्डशायर काउंटी में वूटन का औपचारिक खिताब मिला। लॉर्ड बामफ़ोर्ड को 2014 में रॉयल एकेडमी ऑफ़ इंजीनियरिंग का मानद फेलो चुना गया और 2015 में इंस्टीट्यूशन ऑफ़ मैकेनिकल इंजीनियर्स का मानद फे़लो नियुक्त किया गया।

लॉर्ड बामफ़ोर्ड, JCB के चेयरमैन

 

लॉर्ड बामफ़ोर्ड और उनकी पत्नी कैरोल, यानी लेडी बामफ़ोर्ड OBE सुनिश्चित करते हैं कि JCB उस हर समुदाय का एक अटूट हिस्सा बन जाए, जिसमें कंपनी संचालित होती है। JCB यूके में NSPCC का समर्थन करता है और इसके कर्मचारी बच्चों के प्रति क्रूरता को समाप्त करने के लिए चैरिटी के अभियानों के लिए चंदा जुटाने के लिए सक्रिय हैं। स्थानीय समुदायों का समर्थन करने के लिए विदेशों में भी JCB की कई परियोजनाएं हैं, जिनमें भारत में लेडी बामफ़ोर्ड चैरिटेबल ट्रस्ट है, जो अपने कारखानों के पास के गांवों की सहायता करता है और अमेरिका के सवाना में लेडी बामफ़ोर्ड सेंटर फ़ॉर अर्ली चाइल्डहुड डेवलपमेंट है। लॉर्ड बामफ़ोर्ड ने दुनिया भर में आपदा राहत प्रयासों का समर्थन करने के लिए मशीनरी का भी दान किया है, उदाहरण के लिए एशियाई सुनामी, इक्वाडोर, हैती, इंडोनेशिया, चीन और तुर्कीए में भूकंप और फिलीपींस में टाइफून हैयान के बाद।

ये बागवानी और खेती में भी दिलचस्पी रखते हैं। इन्हें मोटरस्पोर्ट्स में भी बहुत मज़ा आता है। हालांकि वे 2006 में स्टीयरिंग व्हील पर नहीं थे, लेकिन JCB द्वारा डीज़ल से चलने वाली कार की श्रेणी में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के पीछे इन्होंने ने ही प्रेरणा-स्रोत और प्रेरक शक्ति का काम किया था। दो JCB इंजनों से चलने वाला JCB Dieselmax यूटा में बोनविले साल्ट फ्लैट्स पर 350.092 मील प्रति घंटे की रफ़्तार तक पहुंच गया, जो कंपनी का अब तक का एक रिकॉर्ड है और यह अब भी बरकरार है। तब से 7,50,000 से ज़्यादा JCB इंजन बनाए गए हैं, जो दुनिया भर के 150 से अधिक देशों में कंपनी के खास पीले रंगे के डिगर और लोडर को शक्ति प्रदान करते हैं।

आज लॉर्ड बामफ़ोर्ड कंस्ट्रक्शन और कृषि से जुड़े उपकरणों में डीज़ल पावरट्रेन के लिए शून्य कार्बन और शून्य उत्सर्जन वाले उपकरणों के तौर पर हाइड्रोज़न से चलने वाले इंज़न को विकसित करने में अग्रणी की भूमिका निभा रहे हैं। आज ब्रिटेन में JCB के टेस्ट फ़ील्ड में, हाइड्रोजन संचालित मशीन के कई प्रोटोटाइप पर परीक्षण किया जा रहा है।